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चुनाव में जातिवाद का जहर चरम पर EC बेअसर

"ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है इनको आपस में लड़ाने वाला सियासतदान बुरा हैं सियासतदान बुरा है |"

कहते हैं शिक्षित युवा देश का निर्माण करते हैं लेकिन आज शिक्षित  और अशिक्षित मैं कोई फर्क नहीं रह गया है दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव  नजदीक आते जा रहे हैं राजनीतिक दल अपनी मर्यादा को तोड़ते जा रहे हैं. चुनाव आयोग की कार्रवाई का इन पर कोई असर ही नहीं राजनीतिक दल जाति को लेकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने पर खुलकर जुटे हुए हैं. राजनेता एक दूसरी समुदाय के बीच में दरार डाल कर वोटों की फसल काटने मे लगे हुए हैं और किसानों के पास तो गेहूं भी काटने के लिए नहीं बचा उसे तो आवारा जानवरों ने ही अपना निवाला बना लिया है एक-दूसरे धर्म जाति भेदभाव आचार संहिता सभी को ताक पर रखकर बस किसी भी तरह चुनाव जीतने में लगी हुए हैं नैतिकता का तो किसी को ख्याल ही नहीं है भाषा बयान बाजी दिन पर दिन मर्यादा को तार-तार कर रही है आचार संहिता को ठेंगा दिखाते हुए धर्म के नाम पर अनैतिक तरीके पैसे धनबल गुंडई सभी की बदौलत चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं   एक दूसरी जातियों के बीच में जाति वर्ग को दूसरी जाति वर्ग खिलाफ नफरत फैलाकर जातिगत भावनाओं में बहाकर मतदान को प्रभावित किया जा रहा है प्रशासन ही नहीं हम मतदाताओं को भी जागरूक होना पड़ेगा हमें एक दूसरे के वोट बैंक के रूप में नहीं जागरूक मतदाता के रूप में बिना भावना में बहे जात पात से ऊपर उठकर
प्रत्याशी  को चुनना चाहिए जो हमारे मुद्दों को आने वाले समय में संसद में उठा सकें विकास कर सके

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