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पूरी जिंदगी  पार्टी को देने के बाद भी बीजेपी ने नहीं पूरी कि उनकी अंतिम इच्छा,  जाने बाबूलाल गौर का राजनीतिक सफर

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पूरी जिंदगी बीजेपी और संघ के लिए  खर्च कर देने वाले बाबूलाल गौर अब इस दुनिया में नहीं रहे ।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का 89 साल की उम्र में निधन
उनकी पार्टी ने उनकी अंतिम इच्छा तक को पूरा नहीं किया वह आखिरी समय में चुनाव लड़ना चाहते थे।  एक समय था जब गौर मध्यप्रदेश में सब कुछ हुआ करते थे पूरी पार्टी उनके पीछे खड़ी नजर आया करती थी । लेकिन जैसे ही बीजेपी को बहुमत के लिए अनिवार्य सीटें मिलने लगी उसने बाबूलाल गौर को किनारे लगाना शुरू कर दिया । उनके जीवन का सबसे दुखद समय  वह था। जब उनकी उम्र को आधार बनाकर साजिश रच कर उनसे मंत्री पद छीन कर इस्तीफा ले लिया गया था । फिर भी उनकी अंतिम इच्छा एक और चुनाव लड़ने की थी । जो उनकी पार्टी द्वारा टिकट ना देने के कारण अधूरी ही रह गई ।
बाबूलाल गौर  सन 1946 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे उन्होंने दिल्ली तथा पंजाब आदि राज्यों में सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था यही नहीं उन्हें आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में भी रहना पड़ा बाबूलाल गौर को 1974 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा  गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लेने के कारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का सम्मान दिया गया था ।
 बाबूलाल गौर का राजनीतिक सफर
आंदोलनों के बाद गौर को उनकी पार्टी ने चुनावी रणनीति में उतरने का आदेश दिया फिर गौर ने पहली बार भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में जनता समर्थित उम्मीदवार के रूप में 1974 में निर्दलीय विधायक बने।  उसके बाद वह 7 मार्च 1990 से लेकर 15 दिसंबर 1992 तक मध्य प्रदेश के स्थानीय शासन के विभिन्न विभागों में विशेषकर भोपाल गैस त्रासदी के समय राहत मंत्री के पद पर रहे । वही 4 दिसंबर 2002 से 7 दिसंबर 2003 तक मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष रहे उमा भारती के बाद वह 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री  रहे। फिर शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री रहे इसी बीच एक साजिश रचकर उनसे मंत्री पद (छीन) इस्तीफा ले लिया गया था ।
 वह 1974 में भोपाल दक्षिण सीट से उपचुनाव जीत पहली बार विधानसभा पहुंचे थे । उसके बाद वह 1977 से 2003 तक लगातार सात बार  गोविंदपुरा विधानसभा सीट से चुनाव जीते ।
 वह 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे । फिर उन्हें 4 दिसंबर 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया । उसके बाद फिर दोबारा 20 दिसंबर 2008 को उन्हें शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में फिर से शामिल किया गया था।