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अयोध्या फैसले से असंतुष्ट, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दायर करेगा पुनर्विचार याचिका, मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने किया विरोध

पर्सनल ला बोर्ड की इस बैठक का बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने बहिष्कार किया, उन्होंने कहा कि अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे, वहीं जानकारों के मुताबिक पर्सनल लॉ बोर्ड इस मामले में पक्षकार नहीं है इसलिए उसका पुनर्विचार याचिका दायर करने का कोई औचित्य ही नहीं है
अयोध्या राम जन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद (एआइएमपीएलबी) यानी कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन यानी कि पुनर्विचार याचिका लगाने का ऐलान किया है। बता दे कि आज फैसला आने के बाद लखनऊ में (ए आई एम पी एल बी) की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है कि हमें बाबरी मस्जिद के अलावा कोई दूसरी जमीन मंजूर नहीं है। बैठक में कहा गया कि हमें केवल वही जमीन चाहिए जिसकी लड़ाई हमने लड़ी है,

क्या सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार का अधिकार है ?

जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 137 प्रावधानों के अनुसार अपने फैसले पर दोबारा विचार (पुनर्विचार) करने का अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट के अलावा देश के किसी भी कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का कोई भी अधिकार नहीं प्राप्त है! पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में फैसले के 30 दिनों के अंदर दाखिल करनी अनिवार्य है।

सुन्नी वक्ता बोर्ड ने कहा हम याचिका नहीं दाखिल करेंगे, मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा हम मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्ता बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया है कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा, वहीं इस मामले पर बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में शामिल होने से इनकार करते हुए, कहा हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं अयोध्या केस हिंदुस्तान का अहम फैसला था हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे जितना मेरा मकसद था उतना मैंने किया कोर्ट ने जो फैसला कर दिया उसे मान लो हम पक्षकार थे और हम पुनर्विचार याचिका करने आगे नहीं जाएंगे वहीं उन्होंने आगे कहा पक्षकार ज्यादा है कोई क्या कर रहा है नहीं मालूम