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बाराबंकी- जलील कर कर्ज वसूली से परेशान किसान ने जहर खाकर आत्महत्या की, किसानों में आक्रोश

 बाराबंकी कोठी थाना क्षेत्र के  सिद्धौर मवैया मजरे सादुल्लापुर  गांव के 55 वर्षीय किसान जगदीश प्रसााद ने कर्ज  वसूली व प्रशासन की प्रताड़ना से परेशान होकर (29 फरवरी)  जहर खाकर आत्महत्या कर ली। जानकारी के मुताबिक उसने कई बैंकों से लगभग ₹4000000 का कर्ज लिया था जिसकी किस्त अदा न कर पाने के चलते तहसील की टीम गांव में आकर उसे  अपने साथ ले गई जिससे परेशान होकर शुक्र शनिवार की दरमियानी रात किसान ने जहर खा लिया जिसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल में ले जाया गया, जहां से हालत बिगड़़ते देख डाक्टरों ने उसे लखनऊ ट्रांसफर कर दिया, जहां उसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
                            (संकेतिक तस्वीर)
बता दे कर्ज में डूबे किसान के घर कर्ज की वसूली करने गुरुवार नायाब तहसीलदार हैदर गढ़ की टीम गांव  पहुंचकर किसान को अपने साथ पकड़ कर ले गई थी जिसके बाद बदनामी के डर से 55 वर्षीय जगजीवन वर्मा नाम के किसान ने शुक्रवार शनिवार की दरमियानी रात जहरीला पदार्थ खा लिया जिसकी आज देर शाम मृत्यु हो गयी।

ग्राम प्रधान का आरोप जलील कर जहर खाने को कहा

ग्राम प्रधान सादुल्लापुर बद्री विशाल के मुताबिक जगजीवन क्षेत्र में काफी सम्मानित व्यक्ति थे आरोप के मुताबिक राजस्व विभाग की टीम ने उनको गांव वालों के सामने बुरा भला कहते हुए जलील किया और कहा अगर कर्ज नहीं चुका सकते तो जहर खा लो, ग्रामीणों ने बताया कि टीम ने उन्हें जहर दिया और हालत बिगड़ने पर उनकी मौत हो गई, इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी गुस्सा है किसानों ने इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। वहीं मृतक के परिजनों ने आरोप लगाते हुए बताया कि प्रशासन ने मिलीभगत कर उनकी हत्या की है।
 पूरे मामले में एसडीएम हैदर गढ़ योगेश कुमार ने बताया कि किसान की मौत की सूचना मिली है लेकिन इस बारे में अभी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है अगर किसान की मौत हुई है तो इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी, इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जायेगा।

क्यों कर रहे किसान आत्महत्या

  एक तरफ देश का हजारों करोड़ों रुपए विजय माल्या नीरव मोदी जैसे बड़े कर्जदार लेकर विदेश में भाग गए, प्रशासन बड़े  कर्ज़दारो पर क्या कार्रवाई कर रहा है वह तो जगजाहिर है ?
दूसरी तरफ कहीं साहूकार के कर्ज से परेशान होकर तो कहीं बैंक तहसील की तालिबानी वसूली से परेशान होकर किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहा है। प्रशासन को देखना चाहिए आखिर  क्यों किसान कर्ज नहीं चुका पा रहा है एक तरफ आवारा पशु तो दूसरी तरफ मौसम की मार से चौपट किसान चारों तरफ आफत में फंसा हुआ है ऊपर से प्रशासन द्वारा उसकी ना सुनकर उसके सम्मान पर हमला करते हुए उठा लेना किसान को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहा है। प्रदेश में कर्जे से परेशान होकर जान देने वालों का मामला थम नहीं रहा है आज हमीरपुर में एक किसान ने साहूकार के कर्ज से परेशान होकर मौत को गले लगा लिया दूसरा मामला बाराबंकी से सामने आया है यह सरकार प्रशासन द्वारा किसानों को दिए जा रहे आश्वासन जमीनी स्तर पर सब खोखले साबित हो रहे हैं । सरकार द्वारा कागजों पर किसान के लिए अनेकों योजनाएं बनती लेकिन धरातल पर आते-आते योजनाएं अपना दम तोड़ देती हैं और इनके चक्कर में फंसकर कर्ज के बोझ तले दबा किसान किसी न किसी तरह परेशान हो दम तोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।