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किसान हूं, किसानों का दर्द जानता हूं आसमां से ज्यादा जमीन की कद्र जानता हूं,

किसान हूं, किसानों का दर्द जानता हूं
आसमां से ज्यादा जमीन की कद्र जानता हूं,
लचीला पेड़ हूं तो झेल रहा हूं आंधियां बारिश तूफान,
वरना किसानों को मिले, सरकारी आश्वासनों का हश्र जानता हूं।
मेहनत से बढ़ रहा हूं, तो बढ़ चलूंगा एक दिन,
उनके खोखले दावे वादों का सच भी जानता हूं।
अभी सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं, चुनाव आने वाला है पक्ष विपक्ष के झूठे वादे देखता आया हूं फिर भी देखूंगा....

किसान हूं किसानों का दर्द जानता हूं, आसमां से ज्यादा जमीन की कद्र जानता हूं लचीला पेड़ हूं तो झेल रहा हूं, आंधियां ओले बारिश तूफान, वरना किसानों को मिले आश्वासनों का हश्र जानता हूं,.....

अभी देखूंगा मीडिया में उनके झूठे दावे वादे और उनके प्रचार, राष्ट्रवाद किसान हूं, मुद्दा बनूंगा।,
अभी नहीं दिखेगा पत्रकारों को हमारा दर्द, आने दो चुनाव उनके लिए टीआरपी का मुद्दा होगा मैं.......

किसानों हूं किसानों का दर्द जानता हूं आसमां से ज्यादा जमीन की कद्र जानता हूं, लचीला पेड़ हूं तो झेल रहा हूं आंधीयां तूफान वरना किसानों को मिले आश्वासनों का हश्र जानता हूं........

यूं ही नहीं करता मैं आत्महत्या, सब दरवाजे बंद हो जाते हैं, पक्ष विपक्ष  के सरकारी वादे सब खोखले रह जाते हैं,
कागजों पर बहुत कुछ होता है, जमीन पर केवल शुन्य नजर आता है........

किसान हूं, किसानों का दर्द जानता हूं आसमा से ज्यादा जमीन की कद्र करता हूं।

तड़पकर मरता हुआ देखकर विपक्ष वाले राजनीति में जुटते रहे क्योंकि उनकी वोट बैंक का मुद्दा भी हूं मैं....... अभी हार माला लेकर लगेंगे दुआरे, राजनेताओं के फेरे........ मीडिया डिबेट चर्चाएं सब होंगी,  टीवी टीआरपी के लिए  विपक्ष  सत्ता पर होगा अभी लेकिन यह भी एक राजनीति का हिस्सा ही रहेगा.........

किसान हूं, किसानों का दर्द जानता हूं
आसमां से ज्यादा जमीन की कद्र जानता हूं,
लचीला पेड़ हूं तो झेल रहा हूं आंधियां बारिश तूफान,
वरना किसानों को मिले, सरकारी आश्वासनों का हश्र जानता हूं........
             
                         
                                   किसान व छोटा सा रिपोर्टर
                                     VK GUPTA VISHAL