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लॉक डाउन से प्राकृति सुरक्षित, मनुष्यों को कुछ समस्याएं।

चीन के बुहान शहर से उत्पन्न नोबल कोरोना वाइरस जिसने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है | यह एक तरह का अलग विश्वयुद्ध है, जिसमे सम्पूर्ण देश एक तरफ तथा दूसरी ओर एक छोटा सा जीव जिसे हम नग्न आँखों से देख भी नही सकते एक तरफ है | इसे तृतीये विश्वयुद्ध की संज्ञा देना गलत नहीं होगा, जिसमे एक छोटे से जीव ने पूरे देश को एक तरफ खड़ा कर दिया है |

मानव आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु उधोग-धंधें, अर्थव्यवस्था एंव देश की शक्तिशालीनता की होड़ मे प्रकृत का दिन-प्रतिदिन दोहन होता जा रहा हैं | यातायात से निकलने वाले धुऐं, पेड़ों की कटाई से प्रकृति का दिन-प्रतिदिन क्षरण होता जा रहा है | जिसके प्रभाव से विश्व मे लगभग १५०० जींवों की जातियाँ विलुप्त हो चुकी है, तथा लगभग ४५० जातियाँ विलुप्त के कगार पर हैं जो रेड-डाटा बुक मे सांस ले रही है|

खेेतों में रसायनिक खादों एंव कीटनाशकों के अत्याधिक प्रयोग से अपघटनी जीव जो मृत जीवों के अवशेषों का भक्षण कर मिट्टि में मिलाने का कार्य करते है, आज इनकी भी संख्या में कमी आयी है | जिसके प्रभाव से खेतों की उर्वरता मे क्षीणता देखने को मिल रही है |गिद्ध, चील, बाज जैसे पर्यावरण रक्षक पक्षी जो मृत जीवों का भक्षण कर वातावरण को स्वच्छ बनाये रखने का कार्य करते थे, आज ये भी रेड-डाटा बुक मे अपना जीवन व्यतीत कर रहे है | 

देश मे लगभग २०० नदियाँ ऐसी है जो विलुप्त हो गई है या फिर कुछ प्रतिवर्ष सूखी ही पड़ी रहती है | जिस प्रकार से शरीर के किसी भाग के नाड़ी अथवा रुधिर वाहिनियों से किसी कारणवश रुधिर का अदान-प्रदान रुक जाये अर्थात् अपना काम करना बंद कर देती है | तो वह व्यक्ति विच्छिन्न/अपंग हो जाता है उसे लकवा मार जाती है | वह व्यक्ति रोगी कहलाता है | जो अपने रोग के उपचार के लिये रोज अस्पताल के चक्कर काटते फिरता है | फिर कभी ऐसा समय आता है कि वह ईश्वर से अपने जिंजगी के अंतिम सांसों की भींख मागंता है | उसकी साँसे थमने लगती है | इसी प्रकार इन नदियों के सूखने से भी यही स्थिति बनी हैं | पेड़-पौधे सूख रहे है, पशु-पक्षी प्यास से मर रहे है, मृतक जीवों का अपघटन न हो पानेे से बिषैले जीवों की उत्पत्ति हो रही है | भूकंप, भू-तापन जैसी स्थिति बनी हुई है |

प्रकृत के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ आखिर प्रकृत कब तक सहेगी | हमे तो ऐसा लग रहा है कि ये कोरोना प्रकृत का ही भेजा दूत है | जो हमे सचेत करने आया है |

लॉकडाउन की स्थिति मे जहाँ एक तरफ कल-कारखानों के बंद होने ,यातायात के स्थगित होने से देश मे आर्थिक समस्या उत्पन्न हुई | जिसके कारण लोग भूख-प्यास से मर रहे है | वही दूसरी ओर यातायात से निकलने वाले धुऐं ,कल-कारखानों के मलवे, ध्वनियों के स्थगन से पेड़-पौधों ,पक्षियो तथा नदियों को राहत की सांस मिली है | दिन-प्रतिदिन होने वाले प्रदूषण के रुक जाने से काभी हद तक प्रकृत को शांति व सुरक्षा मिली है |

लेखक: मणिप्राण संगठन के अध्यक्ष व पर्यावरण प्रेमी मंसूभाई