चौकिएगा बिल्कुल नहीं नीचे जो जल सत्याग्रह आंदोलन कर रहे वह कोई राजनेता नहीं है वह पत्रकार हैं जिनकी जिम्मेदारी जन सरोकार की पत्रकारिता करना है और उन्होंने किया भी वही है यही इनका सबसे बड़ा कसूर भी है इन्होंने प्रशासन के भ्रष्टाचार व कुरीतियों की पोल खोलने की गलती की या फिर कहें जनता की परेशानियों को उठा कर अपना फर्ज अदा किया यही सब व्याप्त नौकरशाहों को बुरा लग गया उन्होंने उनकी आवाज दबाने के लिए फर्जी केस लादकर इनकी कलम या फिर कहें पत्रकारिता पर रोक लगाने की कोशिश की इसे सीधे शब्दों में कहा जाए कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार कर कलम को दबाने की कोशिश की गई तो गलत नहीं होगा।
(क्रेडिट-भारत समाचार उपरोक्त वीडियो भारत समाचार से लिया गया है, अन्य खबरों के लिए आप भारत समाचार के युटुब चैनल पर यही से क्लिक करके जा सकते हैं)

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से लोकतांत्रिक देश के इतिहास की सबसे काली घटनाओं में से एक, व्याप्त भ्रष्टाचार कुरीतियां व कोविड-19 के चलते बदहाल व्यवस्था को दिखाने के कारण जिला अधिकारी पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार व पत्रकारों पर फर्जी केस दर्ज कर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाकर फतेहपुर के पत्रकारों ने गंगा नदी में जल सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की है।
बता दे विगत दिनों कोविड-19 के समय अस्पताल में खराब इंतजामों की पोल खोलकर प्रशासनिक व्यवस्था की रिपोर्टिंग करने गए वरिष्ठ पत्रकार अजय भदोरिया पर प्रशासन ने झूठा मुकदमा दर्ज किया जिसके बाद पत्रकार एसोसिएशन में आक्रोश व्याप्त है पत्रकार एसोसिएशन के सदस्यों के मुताबिक जिले में गोवंश से लेकर जगह जगह पर प्रशासनिक व्यवस्था बद से बदतर है,
जिले के अंदर हर स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है अगर  लखनऊ से टीम गठित कर वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में जांच कराई जाए तो उसका खुलासा हो सकता है पत्रकार अगर किसी मामले की तथ्य पूर्ण खबर छपते हैं तो प्रशासन उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दबाने का कार्य कर रहा है। वही पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा वह दबाव बनाकर सही खबर प्रकाशित करने पर रोक लगाने जैसे कार्यों की निंदा करते हुए पत्रकारों ने बताया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता तब तक जल सत्याग्रह के साथ अन्य आंदोलन भी किए जाते रहेंगे।