श्रद्धा व प्रेम के साथ लोगों ने लॉक डाउन के बीच साफ सफाई करने के साथ ही ग्रामीणों ने कोविड-19 कोरोनावायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए सकटू चौधरी बाबा का आशीर्वाद लेते हुए भंडारे का आयोजन किया। भंडारे में गांव वालों के साथ क्षेत्रवासियों ने भी बाबा के भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धा से सर झुकाते हुए बाबा की जय जय कार के नारे लगाए।
लखनऊ - राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज क्षेत्र से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सुल्तानपुर रोड पुरानी दूध डेरी के पास स्थित ग्राम पंचायत सदरपुर करोरा का एक गांव जिसे लोग श्रद्धा से सकटू का पुरवा के नाम से जानते हैं
कहते हैं इसे चमत्कारी सकटू चौधरी बाबा ने बसाया था। बाबा के स्वर्गवास के बाद लोगों ने इस गांव का नाम बाबा के नाम पर सकटू का पुरवा कर दिया। यही गांव में एक पुराने बबूल के पेड़ के पास बाबाजी की कालांतर से लोग पूजा करते आ रहे थे कुछ वक्त पहले लोगों ने उस पेड़ को काटकर वहां पर एक मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया था।
जो कि अभी अधूरा पड़ा हुआ है कहते हैं बाबा के कई चमत्कार क्षेत्र में चर्चा के विषय बने हुए हैं पुराने लोग बताते हैं एक बार सकटू चौधरी (बाबा) स्नान करने गए थे तभी बाबा जी ने नहाकर अपनी धोती वही के पास के तार यानी अारगनी पर फैलाई कुछ समय बाद बाबा ने वहीं से धोती फेंक दी साथ गए (ग्रामीण) लोगों ने कहा चौधरी तुम्हारी धोती कहां गई बाबा ने कहा धोती घर गई है उसे चौधराइन ने अारगनी पर फैला दी है। लोग हंसी में टाल गए लेकिन कुछ लोगों की जिज्ञासा बनी रही वह गांव आए और बाबा से पहले उनके द्वारे पहुंच गये, पहुंचकर लोगों की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा उन्होंने देखा वही धोती बाबा के द्वारे तार पर फैलाई हुई है। वैसे बाबा के चमत्कारों की बहुत सी कहानियां है।
बाबा के चमत्कार की एक कहानी उनके स्थान के पास की ही है बाबा का देवस्थान जहां पहले बबूल का पेड़ था जिसे काटकर अब वहां पर अधूरा मंदिर बना हुआ है लोग बताते हैं कि वही स्थित बड़ा सा ज्वाला मिल जिसने बाबा के देवस्थान के बगल में ज्वाला मिल वाले वह जमीन नहीं छोड़ रहे थे, वहीं बाहर बाबा की जमीन में बनी उस मील की दीवार कई बार गिरी हर बार आश्चर्य की बात रहती जितनी जमीन में बाबा के दिवाल उसके सामने मिल की उतनी ही दीवाल गिरती कई बार परेशान होने के बाद जब से मिल वाले ने उतनी जमीन पर से अपना कब्जा हटाया तब से आज तक उस मिल की वही दीवार सुरक्षित हैं।
गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि जहां पर बाबा का देवस्थान बना है वहां पर एक पंडिताइन जो कि अभी भी जीवित है उनका खेत हुआ करता था उन्होंने कई बार बाबा के देवस्थान को हटाने की कोशिश की बबूल के पेड़ को भी काटकर हटाने की बातें कहीं कई बार कोशिश के बाद भी असफलता उनके हाथ लगी कई बार उनकी तबीयत खराब हुई।
जानकार बताते हैं कि जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने बाबा से क्षमा याचना मांगते हुए बबूल के पेड़ पर एक घंटी बांधी जिसके बाद उनकी तबीयत ठीक हो गई, लोगों के कहने के अनुसार बाबा ने उन्हें माफ कर दिया। चमत्कारी बाबा के अनेक किस्से हैं बता दे बाबा पर क्षेत्रवासियों की असीम आस्था है लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं कोई भी संकट आने पर लोग बाबा के दर पर मन्नत मांगने आते हैं और बाबा के आशीर्वाद से ठीक हो, उनकी जय-जयकार करते हैं। जयकारा (बोलो चौधरी बाबा की जय)
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