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राम  जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद भूमि विवाद, सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक सुनवाई शुरू, निर्मोही अखाड़े ने दी अपनी दलील

अयोध्या राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के अति संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने  नियमित सुनवाई शुरू की,
इस मामले के पक्षकारों में से एक निर्मोही अखाड़े के वरिष्ठ वकील सुनील जैन ने सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली  संवैधानिक बेंच के सामने सबसे पहले अपना पक्ष रखा | उन्होंने विवादित जमीन पर अपना अधिकार जताते हुए कहा कि 1934 से किसी मुसलमान को राम जन्मभूमि में प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी | सैकड़ों वर्षों से भीतरी परिसर और राम जन्म स्थान (भूमि) पर  केवल निर्मोही अखाड़े का नियंत्रण था | वहीं वरिष्ठ वकील ने कोर्ट को नक्शा दिखाते हुए कहा कि उनका विवाद परिसर के अंदरूनी हिस्से को लेकर है, उन्होंने अपनी दलील दी कि उस पर पहले उनका कब्जा था | बाद में दूसरे पक्ष ने बल-पूर्वक उसे अपने कब्जे में लिया |  इस स्थान को राम जन्म स्थान के नाम से जाना जाता है यह जमीन पहले निर्मोही अखाड़े के कब्जे में थी |
 वरिष्ठ वकील ने संवैधानिक  बेचं से कहा- मेरी मांग केवल विवादित जमीन के आंतरिक हिस्से को लेकर है, जिसमें सीता रसोई, चबूतरा और भंडार घर शामिल है,  उन्होंने कहा यह सभी हमारे कब्जे में रहे हैं, वहां पर उन्होंने हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति दे रखी है|  
 वहीं वरिष्ठ वकील ने कहा  मैं (निर्मोही अखाड़ा) एक पंजीकरण निकाय हूं मेरा  वाद मूलता वस्तुओं के मालिकाना हक और प्रबंधन के अधिकारों के संबंध में है |
 वहीं वरिष्ठ वकील ने कहा -  विवादित परिषद के दो हिस्से हैं बाहरी हिस्से पर हमारा कब्जा था, जिसमें सीता रसोई, भंडार  घर और चबूतरा (राम चबूतरा) शामिल है इसे लेकर 1961 तक कोई विवाद नहीं था |
 उन्होंने कोर्ट को बताया असली विवाद अंदर के हिस्से का है| 1950 में गोपाल सिंह विशारद का पहला केस भी अंदर पूंजा करने का अधिकार मांगने के लिए था| जिसे भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है |  वरिष्ठ वकील ने आगे कहा मंदिर तोड़कर बने इस मस्जिद को पुराने रिकॉर्ड में मस्जिद-ए-जन्मस्थान लिखा जाता रहा है, मस्जिद बनने के बाद निर्मोही साधु संत मंदिर के बाहरी हिस्से की बड़ी संख्या में पूजा करने और प्रसाद चढ़ाने आया करते थे |

 जिरहा  के बीच बोल पड़े सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई

  वही जिरहा (बहस) के बीच में बोल पड़े  सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को सुप्रीम कोर्ट ने बीच में हस्तक्षेप करने पर फटकार लगाई, | बेंच ने कहा कि कोर्ट की मर्यादा का ख्याल रखें | सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कोर्ट आपका पक्ष भी सुनेगा |

 निर्मोही अखाड़े ने सुनी वक्ता बोर्ड और रामलला के दावे को  गलत बताते हुए, जमीन के नियंत्रण की मांग की

निर्मोही अखाड़े  ने जमीन पर सुन्नी बोर्ड और रामलला के दावे को गलत ठहराते हुए कहा की 1934 में वहां पांच वक्त की नमाज बंद कर दी गई, उसके बाद हर जुम्मे की नमाज होती रही|  वाह भी 16 दिसंबर 1949 के बाद हो गई| उन्होंने कहा विवादित स्थान पर वुजू़ (मस्जिद में नमाज से पहले हाथ पैर धोने का) स्थान मौजूद नहीं है इससे यह साफ होता है, कि वह इमारत मस्जिद नहीं थी.  वहीं उन्होंने रामलला के दावे को खारिज करने की मांग करते हुए कहा विवादित जगह पर हमारा ही हक है हम ही वहां पूजा पाठ करते थे | उन्होंने कहा देवता की तरफ से आज का डालने का हक हमारा है| वहीं वरिष्ठ वकील जैन ने कहा कि उसके इतिहास दावे को स्वीकार किया जाना चाहिए, कोर्ट की तरफ से फैजाबाद के डीएम को हटाकर विवादित जगह का नियंत्रण उसे दिया जाना चाहिए |

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