30 मई 2025, नई दिल्ली: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज कोटद्वार के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस मामले में तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, उनके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता—को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाने) और 354 (महिला की गरिमा भंग करने) के तहत दोषी ठहराया गया। कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसने पूरे देश में न्याय की उम्मीद को मजबूत किया।


यह मामला 18 सितंबर 2022 को उस समय सुर्खियों में आया, जब वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करने वाली अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या कर दी गई। वह नौकरी जॉइन करने के मात्र 20 दिन बाद ही लापता हो गई थी। बाद में उसका शव चीला की शक्ति नहर में मिला, जिसे आरोपियों ने सबूत मिटाने की नीयत से फेंक दिया था। इस घटना ने उत्तराखंड के जनमानस को झकझोर कर रख दिया। लोग सड़कों पर उतर आए, और सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक, हर जगह न्याय की मांग गूंजने लगी।

जांच और सबूतों का जाल

विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मामले में गहन जांच की और 500 पन्नों का एक ठोस आरोपपत्र दाखिल किया। जांच में सामने आया कि रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य और उनके कर्मचारियों ने अंकिता पर अनुचित दबाव डाला था। जब उसने इसका विरोध किया, तो उसकी हत्या कर दी गई। सबूतों और गवाहों के बयानों ने कोर्ट में निर्णायक भूमिका निभाई। अभियोजन पक्ष ने मामले को इतनी मजबूती से पेश किया कि बचाव पक्ष के तर्क कमजोर पड़ गए।

न्याय की जीत

कोटद्वार कोर्ट के इस फैसले को अंकिता के परिवार और समाज ने राहत की सांस के साथ स्वागत किया। अंकिता के परिजनों ने कहा, "हमें इंसाफ मिला, लेकिन हमारी बेटी की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।" वहीं, इस फैसले ने उन तमाम लोगों को उम्मीद दी, जो इस मामले में शुरू से ही कड़ी सजा की मांग कर रहे थे।

यह मामला न केवल एक हत्याकांड की कहानी है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ अंकिता को न्याय दिलाता है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कड़ा संदेश भी देता है।