**लखनऊ**: उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विलय का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिससे सरकार की स्कूल विलय योजना को मजबूत समर्थन मिला है। इस फैसले से बच्चों को बेहतर शिक्षा और आधुनिक सुविधाएं देने का सपना साकार होने की उम्मीद जगी है।




**क्या था विवाद?**  
सीतापुर जिले के 51 बच्चों और कुछ अन्य पक्षों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के विलय पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि स्कूलों के विलय से बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा पर असर पड़ सकता है। इन याचिकाओं पर न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सुनवाई की। 

**सरकार का तर्क: बच्चों का भविष्य पहले**  
राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि स्कूलों का विलय बच्चों के हित में है। कई छोटे स्कूलों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और संसाधनों की कमी एक बड़ी समस्या है। सरकार का कहना था कि इन स्कूलों को बड़े स्कूलों में मिलाने से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और बच्चों को लाइब्रेरी, प्रयोगशाला और प्रशिक्षित शिक्षकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी। सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया कि विलय की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।

**कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला**  
पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब, न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि स्कूलों का विलय शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और संसाधनों के सही उपयोग के लिए जरूरी है। इस फैसले ने सरकार की योजना को लागू करने का रास्ता साफ कर दिया।

**क्या बदलेगा इस फैसले से?**  
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उन प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों का विलय तेजी से होगा, जहां छात्रों की संख्या कम है या संसाधन सीमित हैं। सरकार का दावा है कि इससे बच्चों को न केवल बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि आधुनिक सुविधाओं जैसे स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी और खेल के मैदान भी उपलब्ध होंगे। हालांकि, कुछ अभिभावक चिंतित हैं कि उनके बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है। 

**सरकार का वादा: सुविधा में कोई कमी नहीं**  
सरकार ने अभिभावकों की चिंताओं को दूर करने का भरोसा दिलाया है। विलय के बाद परिवहन सुविधा, सुरक्षा और अन्य जरूरी इंतजामों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि इसका मकसद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बच्चों को समान शिक्षा के अवसर देना है। 

**शिक्षा में नया कदम

यह फैसला उत्तर प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों के विलय से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि शिक्षकों की कमी और संसाधनों की बर्बादी जैसी समस्याएं भी कम होंगी। यह कदम बच्चों के भविष्य को संवारने और शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।