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सुप्रीम कोर्ट के जजों की आपत्ति, कहा- सीजेआई केस में पीड़िता बिना सुनवाई ठीक नहीं*

यौन उत्पीड़न केस

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न केस में अब नया मोड़ आ गया है केस की सुनवाई को लेकर जो जो मैं आपसी मतभेद आ रहा है सीनियर जजों ने कहा है  बिना शिकायतकर्ता महिला के बगैर सुनवाई उचित नहीं है। एकतरफा सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट की छवि पर असर पड़ेगा। लिहाजा, या तो शिकायतकर्ता महिला की मांग के मुताबिक उसे वकील के जरिए अपनी बात कहने की इजाजत दी जाए या फिर उसे अपना पक्ष रखने  दिया जाए

सीजेआई रंजन गोगोई के ऊपर लगे आरोप की जांच  इनहाउस कमेटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट में नम्बर दो जज जस्टिस एस।ए बोबड़े कर रहे हैं और बाकी दो सदस्य महिला जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी  और जस्टिस इंदु मल्होत्रा  हैं। वहीं, जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के जजों के वरिष्ठता सूची में दसवें पायदान पर हैं, जिन्होंने जस्टिस नरीमन के साथ मिलकर इनहाउस कमेटी के सामने यह आपत्ति रखी है।

कौन है सीजेआई आरोप लगाने वाली महिला

गौरतलब है कि महिला मुख्य न्यायाधीश के घर में बतौर जूनियर असिस्टेंट काम करती थी. पिछले साल रजिस्ट्री कार्यालय में उसके खिलाफ अनुचित व्यवहार करने की शिकायत की गई थी। उसके बाद उसे निकाल दिया गया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इसकी भी जांच होनी चाहिए कि इस महिला को उच्चतम न्यायालय में नौकरी कैसे मिल गई जबकि उसके खिलाफ आपराधिक केस है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पुलिस द्वारा कैसे इस महिला को क्लीन चिट दी गई।

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