साल की पहली तिमाही 2020- 21 में 12 सार्वजनिक यानी सरकारी बैंको में 2867 मामलों के जरिए 19964 करोड़ फ्रॉड का मामला सामने आया है। रिजर्व बैंक के मुताबिक यह शुरुआती आंकड़े आंकड़ों में फेरबदल हो सकता है।
लखनऊ- 12 सरकारी बैंकों में 3 महीने के दौरान करीब 20000 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला आरटीआई के जरिए खुलकर सामने आया है। जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 की अप्रैल-जून माह की तिमाही में 12 सरकारी बैंकों में 19,964 करोड रुपए की धोखाधड़ी सामने आई है। संख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई यानी कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के सर्वाधिक 2050 मामलों के जरिए 2325.88 करोड रुपए की धोखाधड़ी की गई है। अगर मूल्यों के लिहाज से बात की जाए तो बैंक ऑफ इंडिया यानी कि BOI में सर्वाधिक 5124.87 करोड रुपए घोटाले के 47 मामले सामने आए हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश के 12 सरकारी बैंकों की 19,964 करोड़ से अधिक के धोखाधड़ी यानी फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि 12 बैंक सर्वजनिक क्षेत्र यानी सरकारी बैंक है। सभी धोखाधड़ी की जानकारी सूचना के अधिकार आरटीआई के तहत जानकारी के बाद प्राप्त हुई है। इसके अलावा घोटालों की फेहरिस्त में नजर डालें तो पता चलता है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के सर्वाधिक 2050 मामलों के जरिए 2325.88 करोड रुपए की धोखाधड़ी की गई है। अगर मूल्यों के लिहाज से बात की जाए तो बैंक ऑफ इंडिया यानी कि BOI में सर्वाधिक 5124.87 करोड रुपए घोटाले के 47 मामले सामने आए हैं। जबकि केनरा बैंक में धोखाधड़ी के 33 मामले के जरिए 3,888.26 करोड़ का फ्रॉड, बैंक ऑफ बड़ौदा में 2,842.94 करोड़ की धोखाधड़ी के 60 मामले, इंडियन बैंक में 1469.79 करोड की रकम का फ्रॉड 45 मामलों के जरिए, इंडियन ओवरसीज बैंक में 37 मामलों के जरिए 1207.65 करोड रुपए की धोखाधड़ी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 9 मामलों के जरिए 1140.33 करोड रुपए की धोखाधड़ी, यूको बैंक में 130 मामलों के जरिए 831.35 करोड रूपए की धोखाधड़ी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 655.84 करोड़ की धोखाधड़ी 149 मामलों के जरिए, देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक में 240 धोखाधड़ी के मामलों के साथ 270.65 करोड रुपए की धोखाधड़ी, पंजाब एंड सिंध बैंक में 163.3 करोड़ की धोखाधड़ी 18 मामलों के जरिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 49 मामलों के जरिए 46.52 करोड़ के घोटालों की जानकारी प्राप्त हुई है पूरे मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने जवाब में कहा है यह बैंकों की ओर से दिए गए वित्तीय वर्ष के शुरुआती आंकड़े हैं। इसमें बदलाव हो सकता है। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट तौर से धोखाधड़ी से जुड़ी राशि का मतलब बैंक को इतनी राशि के नुकसान से नहीं जोड़ा है। बता दें घोटाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद शेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इस संबंध में जानकारी मांगी थी। जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक इंडिया ने कहा बैंकों की ओर से दिए गए यह शुरुआती आंकड़े इसमें बदलाव और सुधार की गुंजाइश है। बता दे कि देश में पहले भी पंजाब नेशनल बैंक से लेकर शेयर घोटाले में हर्षद मेहता कांड तक सामने आ चुके हैं जिसने हमारी बैंकिंग व्यवस्था से लेकर पारदर्शी व्यवस्था पर सीधे धब्बा लगाने का काम किया है। जालसाज बैंकिंग के हर पैटर्न को अपने हिसाब से मिलाकर यूज कर घोटाले को अंजाम दे केंद्रीय बैंकों को चपत लगाते रहे हैं। अभी तक के आंकड़े यही बताते हैं फ्रॉड की अधिकतम राशि प्राप्त नहीं की जा सकी है।
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में 28% फ्रॉड के मामले बढ़े हैं वित्त वर्ष 19-20 के दौरान बैंकों और वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी के मामले 28% की बढ़ोतरी व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करने के लिए काफी है। घोटालो मामलों के लिहाज से देखें तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सर्वाधिक 2050 मामले सामने आए हैं जबकि रकम के लिहाज से बैंक ऑफ इंडिया में 45 मामलों के जरिए 5124.87 करोड रुपए की धोखाधड़ी की गई है। 12 सरकारी बैंकों में से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 49 मामलों के जरिए 46.52 करोड़ की चपत लगाई गई है। जो कि इन सभी बैंकों के हिसाब से सबसे कम धोखाधड़ी की राशि है।
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