बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में गठबंधन से फायदा ही हुआ है| उत्तर देश से बाहर बहुजन समाज पार्टी को किसी ने कही कोई तवज्जो नहीं दिया| राष्ट्रीय पार्टी के तौर उत्तर प्रदेश छोड़कर देश के बाकी राज्यों से बहन जी की पार्टी के सियासी मंसूबों को तगड़ा झटका लगा है| मध्यप्रदेश (कमलनाथ) और राजस्थान (गहलोत) की कांग्रेश सरकारों को बीएसपी का समर्थन प्राप्त है| राष्ट्रीय पार्टी की पहचान को और मजबूत करने के लिए बसपा ने पूरे देश में चुनाव लड़ा था| लेकिन राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर बसपा को तगड़ा झटका लगा है| यूपी को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में पार्टी गिनी चुनी सीटों को छोड़कर कहीं भी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई है। वहीं बीएसपी राजस्थान की 25 में से 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी| लेकिन सभी पर जमानत जप्त हो गई 10 सीटों पर बीएसपी से ज्यादा संख्या में वोट नोटा को मिले हैं | बसपा ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश की कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन भी किया है| वहीं बिहार, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश (मंडी सीट को छोड़कर), कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की सभी सीटों पर बीएसपी को नोटा से कम वोट मिले और जमानत जप्त हो गई है | वहीं मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश कि कुछ गिनी चुनी सीटों को छोड़कर यहां भी जमानत नहीं बचा सकी अधिकतर सीटों पर उससे ज्यादा वोट नोटा को मिले है| वहीं बीएसपी ने महागठबंधन ( बीएसपी 10+एसपी 5) के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन 10 सीटों पर जीत के साथ किया है| उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी भी कुछ खास अच्छा नहीं कर सकी | बीएसपी ने 2014 (00) के मुकाबले 10 सीटों पर जीत दर्ज की है| महागठबंधन में शामिल उसके सहयोगी समाजवादी पार्टी 2014 की तरह 5 सीटों पर ही सिमट गई है| बहन जी इस बार चुनाव प्रचार में लबरेज मध्यप्रदेश और राजस्थान से आगे बढ़कर केरल तमिलनाडु कर्नाटक तक मे चुनाव प्रचार कर आई थी| लेकिन बीएसपी सुप्रीमो का दक्षिण भारत में विस्तार और प्रधानमंत्री बनाने का सपना आखिर सपना ही रह गया है | उनके प्रत्याशियों की जमानते जप्त हो गई|
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