लखनऊ डिवीज़न का हिस्सा मोहनलालगंज लोकसभा सीट
लखनऊ महानगर से लगभग चारों ओर से घिरा मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र बेहाल है.
जहां लखनऊ लोकसभा सीट 1991 से बीजेपी के कब्जे में रही है वहीं मोहनलालगंज 2014 की मोदी लहर को छोड़ दे तो 1998 से लगातार चार बार समाजवादी पार्टी का कब्ज़ा रहा है
लेकिन यहां की चुनाव में जातिगत समीकरण सब पर हावी होता रहा है यही वजह है की जातियों को ध्यान में रखकर यहां अक्सर प्रत्याशी उतारे जाते हैं यहां की जीत में मुस्लिम वोटरों की अहम भूमिका है यहां बसपा के वोट बैंक में लगातार इजाफा हो रहा है और वह काफी मजबूत स्थिति में हैं ।
मोहनलालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट में आती हैं। वर्तमान में यहां से भाजपा के कौशल किशोर सांसद हैं।
मोहनलालगंज लोकसभा सीट में 5 विधानसभा क्षेत्र आते है जिसमें लखनऊ की 4 विधानसभा सीटें मोहनलालगंज-176, सरोजनी नगर-170, बख्शी का तालाब-169, मलिहाबाद-168, और सीतापुर जिले की सिधौली-152, विधान सभा सीट आती है.
चुनावी गणित रुझान
चुनावी रुझान हर जगह गठबंधन की चर्चा है, सीधा मुकाबला बीजेपी और गठबंधन का ही नजर आ रहा है चारों तरफ चर्चा है चाचा जी( शिवपाल सिंह यादव) गठबंधन का खेल खराब कर देंगे लेकिन कुछ जानकार लोग बताते हैं चाचा महज वोट काट कर बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे
यहां की फिजा में यादव वोटरों का झुकाव बीएसपी से ज्यादा समाजवादी लोहिया की ओर दिख रहा है यहां के बुजुर्ग नेता जी की ओर जाते हुए नजर आ रहे
जातिगत समीकरण
मोहनलालगंज क्षेत्र में सबसे ज्यादा दलित हैं जिसने भी सबसे ज्यादा पासी है सभी पार्टियां जातिगत समीकरण देखकर उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारती है ओबीसी और कुर्मी की संख्या काफी है संख्या के हिसाब से उसके बाद सवर्णों का फिर मुसलमानों का नंबर आता है. दलित और मुसलमान इन सीटों पर जीत हार का फैसला करते हैं यहां से जीतने व चुनाव लड़ने वाले ज्यादातर प्रत्याशी पासी जाति से ही आते हैं वहीं समाजवादी और बीएसपी का अपना मजबूत वोट बैंक है यहां जीत हार का फैसला करने में मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है 2014 में जीते कौशल किशोर का प्रभाव मलिहाबाद माल और आशियाना के क्षेत्रों में ज्यादा तो दूसरी तरफ मोदी लहर के साथ साथ हरिजन और मुसलमानों का वोट बैंक इनके पक्ष में गया था वह मलिहाबाद सीट से विधायक भी रहे दूसरी ओर मोदी लहर में जातियों से ज्यादा विकास के मुद्दे पर वोटिंग हुई
26,95,769 जनसंख्या मोहनलालगंज की
34.14 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति के हैं|
युवाओं के दिल की बात
कुछ युवा वोटर फिलहाल किसी पार्टी से ज्यादा नोटा को महत्व दे रहे वह कहते हैं सभी वादों का लॉलीपॉप पकड़ आएंगे आखिर विश्वास किस पर करें सभी एक थाली के चट्टे बट्टे हैं.
किसी पार्टी को मत ना देने का कारण पूछने पर जवाब मिला --
सभी नेता लोग चुनाव के समय ही दिखाई देते उसके बाद पब्लिक से दूर रहते हमारी समस्याओं से उनका कोई सरोकार ही नहीं फिर तो खोजने से भी नहीं मिलते
विकास की क्या बात करें विकास तो नदारद ही है
गरीब जनता की सुने तो कौन ?
खस्ताहाल सड़के यहां की अलग कहानी बयां करती है
बरसात के दिनों में मोहनलालगंज संसदीय सीट के चारों ओर जलभराव का मंजर नजर आता है जल निकासी की समुचित व्यवस्था तक ही नहीं है
बिजली और सड़क में गड्ढे यहां की प्रमुख समस्याएं हैं
विकास ना होना और बेरोजगारी दूसरी बड़ी समस्याओं में से एक है
सबसे बड़ा मुद्दा आवारा जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान जिससे किसान परेशान है दिन रात फसलों की रखवाली के बाद भी फसलों में हो रहा भारी नुकसान
मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे लोगों का दर्द है तमाम दिक्कतों के बावजूद उनका दर्द कोई राजनीतिक मुद्दा ही नहीं बनता नेता अपने में मस्त है जनता परेशान है नेताओं को तो दिल्ली की पड़ी है समस्याओं से इतर सियासत की बात करें तो लोग प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी की चर्चा कर रहे हैं
मोहनलालगंज लोकसभा सीट का संक्षिप्त इतिहास
2014 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के आर के चौधरी को हराकर बीजेपी नेता कौशल किशोर मोहनलालगंज से सांसद बने अभी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है
मोहनलालगंज क्षेत्र में पहले लोकसभा चुनाव 1962 में हुए. इस आम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गंगा देवी यहाँ की पहली सांसद बनी.
गंगा देवी लगातार तीन बार इस सीट से जीतीं. लेकिन 1977 में उन्हें भारतीय लोक दल के राम लाल कुरील से करारी शिकस्त मिली.
मोहनलालगंजां के कैलाशपति भारतीय लोक दल के रामलाल कुरील को हराकर मोहनलालगंज के तीसरे सांसद बने
1984 फिर कांग्रेस की जीत हुई और जगन्नाथ प्रसाद यहां के सांसद बने यह कांग्रेस पार्टी की आखिरी जीत थी इस लोकसभा सीट पर
1989 में जनता दल के सरजू प्रसाद ने यहां जीत दर्ज की.
1991 में भारतीय जनता पार्टी के छोटे लाल ने जीत दर्ज की.
1996 मे बीजेपी की नेता पूर्णिमा वर्मा यहां की सांसद बनी.
1998 समाजवादी पार्टी की रीना चौधरी सांसद बनी
1999 फिर समाजवादी पार्टी की रीना चौधरी सांसद बनी.
2004 समाजवादी पार्टी की जय प्रकाश
2009 समाजवादी पार्टी की सुशीला सरोज बहुजन समाज पार्टी के जय प्रकाश को हरा कर सांसद बनी.
2009 और 2014 लोकसभा चुनाव का विश्लेषण
2009 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच जीत का अंतर 76,595 वोटों का था और बीजेपी को 82435 वोट मिले थे
लोकसभा चुनाव 2009
सुशीला सरोज (समाजवादी पार्टी) 2,56,367
जय प्रकाश (बहुजन समाज पार्टी) 1,79,772
आर के चौधरी (आरएसवीपी). 1,44,341
रंजन कुमार चौधरी (बीजेपी). 82,435
भारतीय आम चुनाव, 2014 : मोहनलालगंज
पार्टी उम्मीदवार वोट
±%
बी जे पी कौशल किशोर 4,55,274 40.77 ℅
बसपा आरके चौधरी 3,09,858 27.75 ℅
सपा सुशीला सरोज 2,42,366 21.70℅
कांग्रेस नरेंद्र गौतम 52,598 4.71 ℅
एएपी सुनील गौतम 10,031 0.90 ℅
नोटा इनमे से कोई भी नहीं 4708 0.42 ℅
जीत का अंतर 1,45,416. 13.0 ℅
कुल मतदान 11,16,588 60.75 ℅
2014 सभी समीकरणों को दरकिनार करते हुए बीजेपी के प्रत्याशी कौशल किशोर ने 145406 वोटो के अंदर से बीएसपी के आर के चौधरी को हराकर इस सीट पर अभी सांसद हैं
यहां प्रति 1,000 पुरुषों पर 906 महिलाएं हैं।
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