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गंगा सफाई- ऊंट के मुंह में जीरा ,फिर कैसे साफ होंगी मां गंगा

गंगा को बचाने अविरल करने के लिए लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिए जा रहे हैं पर गंगा में पानी सूखता जा रहा है......आलम ये है कि गंगा लगभग लुप्त होती जा रही है.....बड़े बड़े सरकारी दावे सब खोखले नजर आ रहे हैं......जिन टनल और नालों को बंद करके गंगा को स्वक्ष और निर्मल बनाने की बात हो रही है.....आज स्थिति ये हो गई है कि अगर वो गंगा से ना मिले तो शायद गंगा में पानी दिखाई ही ना दे ।

वाराणसी के नाम को सार्थकता और काशी के पर्यावरणीय परिस्थतियों को संतुलन देने वाली वरुणा और असि के उद्धार की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता....

अब जबकि सत्ता के गलियारों में नदियों के संरक्षण को लेकर थोड़ी सुगबुगाहट हो रही है... तो नाला बनती जा रही इन दोनों जल वाहिनियों की उखड़ती सांसों को भी किसी संजीवनी की आस जगने लगी है.....  

कड़वी सच्चाई तो ये है कि किसी ठोस योजना के अभाव के चलते ही गंगा की इन सहायक नदियों का प्रवाह कुंद चुका है... और वो नालों में बदलती चली गई हैं...पर इनके वजूद को बनाए रखने के जिम्मेदार महकमे मूक दर्शक बने रहे... और इन्हें धीरे-धीरे बर्बादी की कगार पर जाते देखते रहे...

नगर के भूमिगत जलस्तर को संतुलित और शुद्ध रखने वाली वरुणा नदी भी अपने वजूद से जूझती ही नजर आ रही है... अतिक्रमण की होड़ से दिनोंदिन सिकुड़ते पाट और इसमें गिरनेवाले नालों की बढ़ती संख्या ने इसे मैला ढोनेवाली नदी बना दिया है।चाहे केंद्र सरकार हो या फिर प्रदेश सरकार। आम आदमी हो या फिर खास। सभी की जुबान पर सिर्फ गंगा की दुर्दशा की चर्चा है....


 नारों के साथ जन जन के दिल तक पहुंचने वाले पीएम मोदी गंगा नदी को साफ़ रखने के तमाम कोशिश शुरू की लेकिन नतीजा आपके सामने हैं.. लेकिन वरुणा और असी को अपने ही हाल पर बेहाल होने के लिए छोड़ दिया.... असि नदी का हाल ये है क़ि नगर निगम अभिलेखों पर अब यह नदी की जगह नाले के तौर पर दर्ज हो चुकी है.... और ये हाल तब है जब नगर निगम में मेयर.. 

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