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योगी सरकार ने वापस लिया, 17 ओबीसी जातियों को एससी में जोड़ने वाला आदेश, जाने कब क्या हुआ।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने वाले अपने फैसले को वापस ले लिया है। बता दे सरकार के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत ठहराते हुए कहा था की सरकार को ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 24 जून को 17 ओबीसी  जातियों को एससी सूची में शामिल करने का फैसला लिया था। इन जातियों को अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल करने के पीछे सरकार का तर्क था
कि यह जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं। लेकिन योगी सरकार के इस फैसले को इसी साल सितंबर माह में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में नकारते हुए कहा था। कि राज्य सरकारों को ऐसे आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है, संसद में कानून बनाकर भारत सरकार ही ऐसे आदेश जारी कर सकती है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए, प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था।बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने सरकार के इस शासनादेश को अवैध ठहराते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी जिस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुधीर अग्रवाल व जस्टिस राजीव मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सितंबर माह में यह फैसला सुनाया था।
हाईकोर्ट की आपत्ति के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनाया निर्णय आज वापस ले लिया है यानी कि अब जिलाधिकारी उन 17 जातियों को एससी का सर्टिफिकेट नहीं दे पाएंगे, इसी के साथ साफ हो गया कि यह 17 जातियां अब ओबीसी में ही रहेंगी

कृपया क्लिक कर पुराना फैसला पढ़े- योगी सरकार का बड़ा फैसला, 17 (अति पिछड़ी) ओबीसी  जातियां एससी में शामिल|