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यूपी बीजेपी के जीत का समीकरण, महागठबंधन क्यों हुआ महागठबंधन धरसाई, अगर कांग्रेस साथ होती तब क्या होता समीकरण

यूपी में समाजवादी, बीएसपी, कांग्रेस तीनों एक हो जाती तब क्या स्थिति होती पिछले 2014 के मुकाबले बीजेपी को 2019 में केवल 9 सीटों का ही नुकसान हुआ हैl वहीं बीजेपी 80 में से 62 सीटें और अपना दल अपनी सभी दो सीटें बचाने में कामयाब रहीl कहते हैं राजनीति गणित नहीं  जहां एक + एक मिलकर दो होते हैंl राजनीति रसायन विज्ञान की तरह है जहां दो  रसायन मिलकर तीसरे रसायन का निर्माण करते हैंl
कुल 8 सीटें ऐसी हैं जहां सपा बीएसपी कांग्रेश तीनों के मत जोड़कर बीजेपी के मत से कुछ  ही ज्यादा है| इस आधार पर बीजेपी को कोई खास फर्क नहीं पड़ता और वोट बँटवारे की बात की जाए तो 2014 के मुकाबले बसपा और सपा के वोट बैंक में 10% की गिरावट आई है| वहीं बीएसपी 2014 में जीरो से आगे बढ़कर 10  सीटें जीतने में कामयाब रही समाजवादी के वोट  बीएसपी को ट्रांसफर हो गए, लेकिन बीएसपी के वोट बैंक समाजवादी को ना के बराबर ही ट्रांसफर हुए हैं| 2014 के मुकाबले 2019 में समाजवादी पार्टी एक भी सीट नहीं बढ़ा सकी है| समाजवादी इस बार भी 5 सीट ही रही लेकिन इस समर में समाजवादी परिवार में आजमगढ़ से अखिलेश यादव और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव को छोड़कर यादव परिवार का कोई भी उम्मीदवार अपनी सीट नहीं बचा सका है| जमीनी स्तर पर दोनों पार्टियों के वोटरों के बीच आपसी तालमेल की भारी कमी दिखी| वहीं विकास और गरीबों के लिए मुक्त गैस सिलेंडर, शौचालय, गांव-गांव बिजली और किसानों को 6000 सालाना आर्थिक मदद की योजनाओं का बीजेपी को खासा फायदा मिला है| जिसके चलते बीजेपी ने यूपी के सभी समीकरणों को ध्वस्त कर जीत दर्ज की है|

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