तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण कानून 2019 के सजा के प्रावधान से जुड़े कानून को 'समस्थ केरल जमीथुल उलेमा' नामक मुस्लिम संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है l
संगठन ने याचिका में कहा की यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में मिले मौलिक अधिकारों का (हनन) उल्लंघन करता है | लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस कानून को असंवैधानिक घोषित कर रद्द करें | बता दें कि तीन तलाक बिल 31 जुलाई को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन गया है | अयोध्याा भूमि विवाद 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई
यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा | यह याचिका ट्रिपल तलाक बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी देने के बाद कोर्ट में दाखिल की गई है | वही ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद भी देश के अलग-अलग हिस्सों से तीन तलाक के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं| अगर बात करें राजनीति की तो इससे पहले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के एक मंत्री ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि वह इस तीन तलाक कानून को नहीं मानते हैं|
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